हे प्रभु ! आनंददाता ज्ञान हमको दीजिये !
शीध्र सारे दुर्गुणों को दूर हमसे कीजिये !!
लीजिये हमको शरण में हम सदाचारी बने !
ब्रम्हचारी धर्मरक्छक वीर ब्रतधारी बने !!
निंदा किसीकी हम किसी से भूलकर भी न करे !
इर्ष्या किसीकी हम किसी से भूलकर भी न करे !!
सत्य बोले झूठ त्यागे मेल आपस में करे !
दिब्य जीव हो हमर यश तेरा गाया करे !!
जाए हमारी आयु हा प्रभु लोक के उपकार में !
हाथ डाले हम कभी न भूलकर अपकार में !!
मातृभूमि मातृसेवा हो अधिक प्यारी हमें !
देश में सेवा मिले देश निज देश हितकारी बने !!
कीजिये हम पर कृपा ऐसी हे परमात्मा !
मोह मद मत्सर रहित होवे हमारी आत्मा !!
हे प्रभु ! आनंददाता ज्ञान हमको दीजिये !
शीध्र सारे दुर्गुणों को दूर हमसे कीजिये !!
Monday, November 24, 2008
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